Jiya-Koda-Noo-Kurukh-Digaha-Khiri-(Kurukh-Upanyas)

Jiya-Koda-Noo-Kurukh-Digaha-Khiri-(Kurukh-Upanyas)
Description

"जिया-कोड़ा-नू-कुँड़ुख़-डिगाहा-खीरी: कुँड़ुख़ उपन्यास"

यह उपन्यास "जिया-कोड़ा-नू-कुँड़ुख़-डिगाहा-खीरी" कुँड़ुख़ भाषा में लिखा गया है और कुँड़ुख़ समुदाय की जीवनशैली, रीति-रिवाज, और संस्कृति को समझाने के लिए एक महत्वपूर्ण साधन है। इस उपन्यास में, प्रमुख पात्र "जिया-कोड़ा-नू" अपने जीवन के उतार-चढ़ाव, प्रेम, और संघर्षों के माध्यम से कुँड़ुख़ समुदाय की अनछुई कहानी का परिचय देते हैं।

इस उपन्यास में, पाठकों को कुँड़ुख़ समुदाय की विविधता और उसके गहरे संघर्षों का अनुभव होता है। यह कहानी उनके धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों, प्रेम के उदाहरण, और समाज में उनके स्थान के बारे में विचार करने के लिए एक अद्वितीय मंच प्रदान करती है।

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Jiya-Koda-Noo-Kurukh-Digaha-Khiri-(Kurukh-Upanyas)

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"जिया-कोड़ा-नू-कुँड़ुख़-डिगाहा-खीरी: कुँड़ुख़ उपन्यास"

यह उपन्यास "जिया-कोड़ा-नू-कुँड़ुख़-डिगाहा-खीरी" कुँड़ुख़ भाषा में लिखा गया है और कुँड़ुख़ समुदाय की जीवनशैली, रीति-रिवाज, और संस्कृति को समझाने के लिए एक महत्वपूर्ण साधन है। इस उपन्यास में, प्रमुख पात्र "जिया-कोड़ा-नू" अपने जीवन के उतार-चढ़ाव, प्रेम, और संघर्षों के माध्यम से कुँड़ुख़ समुदाय की अनछुई कहानी का परिचय देते हैं।

इस उपन्यास में, पाठकों को कुँड़ुख़ समुदाय की विविधता और उसके गहरे संघर्षों का अनुभव होता है। यह कहानी उनके धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों, प्रेम के उदाहरण, और समाज में उनके स्थान के बारे में विचार करने के लिए एक अद्वितीय मंच प्रदान करती है।

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